आत्मसाधना का पर्व दसलक्षण पर्व: आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

आत्मसाधना का पर्व दसलक्षण पर्व: आचार्य श्री 108 सुबल सागर जी महाराज

Daslakshana Festival

Daslakshana Festival

Daslakshana Festival: चंडीगढ़ दिगम्बर जैन मंदिर में पर्यूषण महापर्व की समाप्ति पर बाहर से आए हुए "श्रावक साधक शिविर' में लोगों का सम्मान हुआ तथा इस दसलक्षण महापर्व पर विशेष साधना कर रहे श्रावकों के द्वारा जो दस दिन तक चारों प्रकार के आहारों का त्याग कर उपवास किया, उन सभी की पारणा भी परम पूज्य आचार्य श्री सुबल सागर जी महाराज के आशीर्वाद से सम्पन्न हुई।

आचार्य श्री ने कहाँ कि हे धर्म प्रेमी बन्धुओं ! आप ने जो यहाँ इस दिन के अंदर सीखा  है उसे अपने जीवन में धारणा करने का पुरुषार्थ करना, तभी इस मानव जीवन की सार्थकता है। जिस प्रकार डॉक्टर या इंजीनियरकी पढाई करने बाला विद्यार्थी अगर मात्र पढाई कर के  ही रह जाऐ तो उसकी पढाई की कोई बेल्यू नहीं रह जाती है। इसी प्रकार आपने जो यहाँ सीखा है उसे अपने आचरण में लाना तभी इस शिविर की सार्थकता है। इस साधना शिविर के माध्यम से एक व्यक्ति शनै- शनै अपने जीवन को महान बनाकर महानता की मिसाल बन जाते हैं । आपकी प्रभु के प्रति भक्ति, साधना, आराधना है यही सम्यग्दर्शन को उत्पन्न कर आपको एक दिन सम्यग्चरित्र तक पहुंचाकर परम सुख रूप अवस्था को देने वाली है । से इस दसलक्षण पर्व पर चड़ीगढ़ समाज के लोगों ने बहुते ही उत्साह के साथ प्रभु की आराधना की। आराधना के मध्यम प्रातः कालीन 5:00 ब बजे ध्यान किया, गुरुदेव के प्रवचनों का श्रवण किया, प्रभु की पूजा, आरती, विधान, भक्तामर दीप अर्चना पण्डित जी के प्रवचन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विश्व शांति महायज्ञ कर। श्री जिनेन्द्र भगवान की भव्य रथ यात्रा मंदिर प्रागण से बाहर निकाली गई। बहुत ही सातिशय पुण्य को बढ़ाने वाली प्रभु की यह भव्य शोभा यात्रा लोगों के उत्साह का कारण बनी और धर्म प्रभावना है। यह जानकारी बाल ब्र. गुंजा दीदी ने दी।

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